मेरे जीवन साथी (सत्य घटना)
मेरे जीवन साथी (सत्य घटना)
“आज वेलेन्टाईन डे है और तेरा होनेवाला पति तुजे मिलने नही आयेगा क्या?” भुमि
ने अपनी खास सहेली निधी को पूछा।
“नही यार, उस की जोब है ही ऐसी वो फ्री नही हो
पा रहे है” नीधी ने जवाब तो दे दिया लेकिन मन मे ही सोच रही
थी को जो लडका उसे देखने तक नही अया वो वेलेंटाइन डे पर क्या आयेगा?
लेकिन ये भुमि थी, निधी
की खास सहेली वो तो सब जानती थी क्युकी बचपन से साथ रही थी। जब निधी और आकाश की
बात चल रही थी तब भी ओफिस से समय नही मिल पा रहा है ऐसा आकाश के माता-पिता ने कहा
था और समाज के नियम के विरुद्ध जाकर एक अच्छा लडका अपने बेटी के नसीब से चला न
जाये इसिलिये निधी के माता-पिता ने सामने से जाकर लडके यानी आकाश के घर जाकर देख
आये थे।
आकाश का बायो डेटा अपने ज्ञाती की ‘शादी विषयक पुस्तक\\' मे से निधी के माता-पिता ने
सीलेक्ट किया था और निधी को आकाश, वो बायोडेटा मे रखा गया
फोटो से ही पसंद आ गया था और बाद मे बायोडेटा मे आकाश की बेंक की जोब, सेलेरी और परिवार का बेकग्राउन्ड देखकर निधी के परिवार ने तय किया था की
ये रिश्ता हुवा तो निधी सुखी रहेगी। और निधी के माता-पिता ने सामने से फोन कर के
रिश्ते की बात चलाइ थी। जब ये बात आइ की आकाश को जोब से छुट्टी नही मिल पा रही तो
निधी के मा-बाप दोनो सामने से आकाश के घरवालो से मिले और सब बाते तय हुइ। अब इस मोडर्न
जमाने मे लडके और लडकी को एक बार मिलाना तो पडता है ता की दोनो एक दुसरे को समजे
और बात आगे बढे, इसिलिये निधी और उस के माता-पिता को
सामने से निधे को लेकर जाना पडा।
जब निधी
आकाश से पहली बार मिली और आकाश केवल आधे घंटे का समय निकालकर निधी को मिलने आया।
दोनो मिले, बातचित हुइ और निधी ने मेहसुस किया की आकाश को कुछ ज्यादा
ही जल्दी थी इसिलिये मीटिंग़ जल्दी से खत्म कर दी गइ और आकाश जल्दी से नीकल गया।
दोनो परिवार मे बात चित की और आकाश को फोन पर और निधी को रुबरु पुछा गया और दोनो
ने समती दे दी तो तुरंत सगाइ की तारीख तय कर दी गईं।
सगाइ
के दिन भी आकाश जितना वक़्त तक सगाइ की विधी चली तब तक शांत बैठा वरना उस के फोन
नोन स्टोप चालु थे। वैसे निधी ने जल्दबाजी करना ठीक नही समजा और समाज और माता-पिता
के संस्कार और कुछ डर से अपने दिल की बात नही बताइ की आकाश कुछ उखडा उखडा सा रहता
है। सगाइ के बाद भी आकाश और उस के रीलेटिव्स तुरंत नीकल पडे और आकाश और निधी सगाइ
के दिन भी नही मिल पाये थे।
आज
वेलेंटाइन दिन था और आकाश वैसे तो निधी से फोन करता था और सामने निधी भी फोन कर
लेती थी, लेकिन ज्यादातर आकाश फोन काट लेता था की ओफ़िस का काम है तो
वक़्त बहुत कम है और निधी सहम जाती थी। निधी को इंतजार था वेलेन्टाइन डे का, क्युकी
आज के जमाने मे कोइ भी फिआन्स ऐसा नही जो अपनी फिआन्सी से मिलने न जाये। दोनो मे
फोन पर बात भी हुइ थी की वेलेन्टाइन डे पर आकाश आये और निधी को मिलने की कोशीश
जरुर करेगा, लेकिन अंत मे वेलेंटाइन डे से एक दिन पहले रात को आकाश ने
फोन पर मना किया की वो ओफिस से छुट्टी नही ले पायेगा और नही आ सकेगा। निधी निराश
तो जरुर हुइ लेकिन अपना मन मना लिया क्युकी सगाइ से लेकर आज तक आकाश से भले ही
प्यारभरी बाते ज्याद नही हुइ थी लेकिन आकाश ने कभी बदतमीजी नही की थी और बहुत कम
बोलता था। इसिलिये निधी ने सोचा था की शायद आकाश अतर्मुखी होगा और कम बात करनेवाला
लडका होगा। निधी ने अपना जीवन इश्वर को सौप दिया था और सोच लिया था की जो भी होगा
अच्छा ही होगा और आगे आगे देखा जायेगा।
भुमी
तो जानती थी की निधी और आकाश के बीच कैसा व्यवहार चल रहा है इसिलिये निधी को पुछ
रही थी और उस का चेहरा भी पढ रही थी। जब निधी ने जवाब दिया तो भुमि बोल उठी,”तु कम से कम
ये नाटक मेरे सामने मत कर ओके। मै जानती हु तेरे मन मे अभी क्या चल रह है?”
“क्या
चल रहा है?” विधी ने अपने विचारो को समेटते हुवे पुछा।
“देख
निधी, बहुत हो गया। अगर ऐसा ही चला तो तेरा संसार कैसे चलेगा? तु बता क्यु
नही देती अपने दिल की बात सब को।“
“अरे
! क्या बताउ? वो बात नही कर रहे तो क्या बुरा हो गया बताओ भला? आज नही
करेंगे तो कल करेंगे। हो सकता है की सच मे ओफिस से समय न मिलता हो”। निधी ने दलील
पेश की।
“सच
मे तु कितनी भोली है निधी, की तेरे आखो के सामने वो तुजे इग्नोर कर रहा है और तु
देख नही पा रही है। वाह री आज की मोडर्न पार्वती, अपने शिव को
छोडेगी नही” अब भुमि ने निधी को छेडना शुरु किया।
निधी
शरमा गइ,”ऐसा कुछ नही है ह्म्म, अब तु शुरु मत हो जाना समजी”।
लेकिन
भुमी अचानक गंभीर हो गइ और बोल उठी, ”देख तु तो बोलेगी नही, लेकिन मै
चुप बैठनेवाली नही हु, मै आज अंकल को और आंटी को बताकर ही रहुंगी|” और सच मे
भुमि उठ खडी हुइ और चलने लगी।
निधी
गभरा गइ और दौडकर भुमि को पकड लिया और दोनो हाथ जोडे, ”नही भुमि,
तु कुछ नही बोलेगी तुजे मेरी कसम। देख तु बात का बवंडर बना रही है जब की सच्चाइ हम
जानते नही है तो जल्दबाजी नही करनी चाहिये।“
“ठीक
है मै एक शर्त पर चुप रह सकती हु।“ भुमि ने कहा।
“और
वो शर्त क्या है?” निधी ने जान बचे तो लाखो उपाय सोचकर पुछ लिया।
“तु
अभी की अभी अपने पति मतलब होनेवाले पति को फोन कर और मुज से बात करा ।” भुमि ने
शर्त बोल दी।
“क्या?” निधी ने
आश्चर्य से पुछा और आगे कहा,”इस वक़्त वो ओफिस मे होंगे, फ्री भी नही
होंगे, जब फोन आयेगा तो जरुर करवाउंगी प्रोमिस, बस ।“
“नही
अभी की अभी करवा नही तो ये देख मै चली अंकल के पास” इतना बोलकर भुमि चल पडी और
निधी ने उस के पिछे अलमोस्ट दौडते हुवे अपना फोन निकाला और तब तक भुमि रास्ता
क्रोस कर चुकी थी और निधी का ध्यान नही था। इतने मे एक ट्रक आया और जो नही होना था
वो हो गया। लेकिन निधी और भुमि को पता नही था की फोन कब का लग चुका था।
*******
आकाश के मातापिता
होस्पिटल निधी के मा-बाप के पास पहुच चुके थे । सब से पहले निधी के पिता को, इन
दोनो को देखकर ही झटका लगा और फिर बोलने के होश तो नही थे फिर भी आखो से इशारा
किया और सब पास की बेंच पर बैठ गये। निधी का ओपरेशन चल रहा था। बातचीत से पता चला
की आकाश की बेंक मे ओडिट आया हुवा था और आज भी वो फ्री नही होना था और इसिलिये
शायद उस पर पर्दा डालने के लिये या फिर समाज और कुटुंब मे ज्यादा शोर न हो इसिलिये
आकाश के माता-पिता को भेज दिया गया था। भुमि वही थी और उस ने सोच लिया की आकाश
शायद अब कभी नही आनेवाला। जिस की होनेवाली बीवी का एक्सीडेन्ट हुवा हो और वो काम
मे बीजी हो वो इन्सान कैसा खुदगर्ज और मतलबी होगा?
ओपरेशन
खत्म हुवा और डोक्टर बाहर आये और सब को इशारा किया की वो केबिन मे आये। कुछ वक़्त
के बाद केबिन मे सब बैठे हुए थे और डोक्टर ने विस्फोट किया,”आइ एम वेरी
सोरी बट खुन बहुत बह गया है.....”
“बच
तो जायेगी न मेरी बेटी” निधी की मा ने बीच मे ही पुछ लिया।
“हम
कोशीश तो कर रहे है, बाकी आगे भगवान की मरजी..लेकिन...” डोक्टर ने बोलकर आधा छोड
दिया।
“लेकिन
क्या सर?” निधी के पिता ने पुछा।
“उस
के दोनो हाथ काटने पडे है ।” डोक्टर ने अपना सर जुका लिया।
सब
के सब वही शोक्ड थे। कुछ वक़्त के बाद निधी होश मे आयी और उसे पता चला की दोनो हाथ
नही रहे तो वो बिल्कुल मानसिक तौर पे तुट गइ। खास कर के उसे याद आया आकाश। अब तो
पक्का था की बीना हाथ वाली लडकी को कौन अपनायेगा ?
बस
दोनो तरफ से औपचारिक बाते हो रही थी और आकाश के मातापिता की बातचीत से पता चल चुका
था की ये रिश्ता चंद मिनिट तक सिमित है।
लेकिन
कुछ ही पल मे आकाश का फोन अपने पिता पर आया और उस के पिता हसने लगे। होस्पिटल मे
खडे हुवे सारे रिश्तेदार को बहुत बुरा लगा की इस वक़्त ऐसे माहोल मे कोइ हसता है
भला ?
सब
की निगाहे उस पर थी और आकाश के पिताजी समज गये और बोल उठे,”अरे भाइ
मेरे हसने पर मत जाओ, आज मुजे नाज है अपने आकाश पर। साले बेंकवालो ने नही छोडा तो
नौकरी छोडकर आ रहा है मेरी बहु को मिलने।“
और
ये शब्द सुनकर खुद निधी भी चौक उठी।
“अरे
भाइ मेरे सामने यु मत देखो, आज आकाश और हम सब ने मिलकर प्लान बनाया था की आप सब को
सरप्राइज दे और हम शाम को आकाश बैंक से वापस आये तब साथ मे आनेवाले थे। लेकिन एक
तो ओडिट और उपर से ये बुरी खबर आइ तो अब तक हम चुप बैठे थे। क्युकी जब से सगाइ हुइ
है तब से आकाश समय नही दे पा रहा था तो सोच ही रहा था की ऐसी जोब पर लानत है।
इसिलिये वो जोब छोडने का मन भी कर बैठा था, बस ये आखरी
ओडिट निपटाना था वो कर लिया और जोब को लात मार के दुसरी जोब का लेटर लेकर अभी पहुच
रहा है यहा ।” आकाश के पिताजी ने सस्पेंस खोल दिया।
और
आकाश आया और निधी के माता-पिता के चरणास्पर्श किये और सीधा निधी से मिला और सिर्फ
इतता ही बोला,”तुम्हारी दोस्त भुमि ने तुजे जो बोला था वो सब मैने सुन
लिया था, क्युकी गलती से तुम से मेरा फोन लग गया था। तुम्हारी
एक्सीडेन्ट के वक़्त भी फोन चालु था। भुमी की चीख सुनी, तुम्हारी
आवाज नही आ रही थी तो मै समज गया की कुछ अनहोनी हुइ है। इसिलिये मोम डेड को भेज
दिया और जो मेजिक शब्द तुम आज तक सुन ने को बेताब है वो आज वेलेन्टाइन डे पर तुजे
सब के सामने बोलता हु...”आइ लव यु एन्ड यु आर, ओन्ली यु आर माय वेलेन्टाइन“ और आकाश की ये बात सुनकर सब से पहले भुमि रो पडी और निधी को ये
महसुस हुवा की आज उसे सच्चा प्यार करनेवाला जीवनसाथे मिल गया, फिर भी ये मेजिक
शब्द सुनकर वो लिपट भी नही पा रही क्युकी हाथ नही रहे थे, इस का उसे काफी अफसोस
हुवा। लेकिन आकाश समज गया और उस ने निधी को सहारा दिया।
लेकिन
कुदरत को शायद ये मंजुर नही था और इतने मे ही निधी की हालत और खराब हुइ और आकाश को
निधी का चेहरा देखकर ही शायद पता चल गया था तो उस ने उसी वक़्त निधी की मांग भर दी और
निधी को लिपटकर बहुत रोया। वहा खडे हर एक के आखो मे आसु थे लेकिन कोइ भी दुसरे के
आसु पौछने की हालत मे नही था। भुमि शायद उम्मीद लगाये बैठी थी और प्रार्थना कर रही
थी लेकिन अंतत: निधी ने सुकुन के साथ....अपने पति के सामने...एक सच्चा जीवनसाथी
पाकर हमेशा के लिये इस फानी दुनिया को छोड दिया।
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आज के विषय \'मेरे जीवनसाथी\' प्रतियोगीता के लिये
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लेखनी प्रतियोगीता के लिये
PHOENIX
11-Mar-2022 12:18 PM
धन्यवाद लेखनी टीम का, आखिर मे ये कहानी पसंद आइ। अभी व्होट्स एप मे रीजल्ट का पता चला है और इस कहानी को वीनर घोषित किया गया है। आप् सभी रीडॅर्स जिन्होने ने पढा, जो पढनेवाले है जिन्होने टिप्पडी की, आलोचना की, लाइक्स किया....आप सभी का दिल से शुक्रिया। कुछ मजबुरिया है इसिलिये मै व्होट्स एप ग्रुप मे मेसेज नही दे पाउंगा, इसिलिये यही पर आप सब रीडर्स, लेखनी के जज, आलिया जी का शुक्रिया करता हु। धन्यवाद...
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Sunanda Aswal
11-Mar-2022 11:45 AM
बहुत सुंदर कहानी लिखी आपने। बस स्पेलिंग सेक्शन जरा कमजोर रहा । बाकी कहानी 👏👌🌺
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PHOENIX
11-Mar-2022 11:57 AM
हा स्पेलिंग का है। स्वीकार करता हु इस गलतीयो को। धन्यवाद आप का।
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pk123
10-Mar-2022 01:32 PM
बहुत ही बढ़िया कहानी ब्रो... अगर यह सही में हुआ है तो ब्रो स्पिचलेस हूँ मैं
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PHOENIX
10-Mar-2022 01:39 PM
बिलकुल सत्य घटना है। लेकिन समय मर्यादा से मैने पुरी नही लिखी। हकीकत मे उस लडकी ने तीन महिने संघर्ष किया और लडके ने पुरी सिद्दत से उस की सेवा की। जब लडकी की डेथ हुइ तब सब से ज्यादा वो लडका रोया और यहा तक की अग्निसंस्कार भी उस लडके ने किया था। धन्यवाद कोमेंट के लिये।
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